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कादर खान: अभिनय का बादशाह, संवादों का शहंशाह और एक अनमोल विरासत

 कादर खान: अभिनय का बादशाह, संवादों का शहंशाह और एक अनमोल विरासत                           

                            कादर खान: अभिनय का बादशाह          
कादर खान: अभिनय का बादशाह, संवादों का शहंशाह और एक अनमोल विरासत “कैसा लोचा किया तूने मेरे प्यार का… माल तो बिका नहीं, बिल चढ़ गया उधार का !अगर यह संवाद आपके चेहरे पर मुस्कान लेकर आता है, तो समझ लें कि यह जादू कादर खान के शब्दों का है। हिंदी सिनेमा की चमचमाती दुनिया में कई सितारे आए–गए, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जिनकी प्रतिभा समय की गर्द में दबती नहीं, बल्कि और चमकदार होती जाती है। कादर खान ऐसा ही एक नाम है—अभिनेता, संवाद लेखक, हास्य कलाकार, नाटककार, शिक्षक और एक संवेदनशील इंसान। 300 से अधिक फिल्मों में बेहतरीन अभिनय और 250+ फिल्मों के लिए संवाद लेखन… वह सिर्फ कलाकार नहीं थे, बल्कि एक संस्था थे। लेकिन विडंबना यह है कि जिस इंसान ने पूरी उम्र लोगों को हँसाया–रुलाया, उसे मृत्यु के बाद "दो गज ज़मीन" भी नसीब न हुई।
 
कादर खान का जीवन : जन्म व परिवार की पृष्ठभूमि : -

                कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल (अफगानिस्तान) में काकर जनजाति के एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता मौलवी अब्दुल रहमान खान अरबी और फ़ारसी भाषा के विद्वान थे, वहीं माता इक़बाल बेगम पाकिस्तान के बलूचिस्तान से थीं।

परिवार में चार भाई थे -

                           1]    शम्स रहमान। 

                           2]   फ़जल रहमान। 

                           3]   हबीबुर रहमान। 

                           4]   और सबसे छोटे—कादर रहमान (जिन्हें बाद में     दुनिया कादर खान के नाम से जानती है) उनके पिता ने नीदरलैंड में एक   इस्लामी शैक्षणिक संस्थान भी स्थापित किया था। लेकिन पारिवारिक   परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनीं कि बाद में कादर खान की मां उन्हें लेकर    मुंबई आ गईं।

 मुंबई की झुग्गियों से बॉलीवुड तक: संघर्ष की कहानी : -

               मुंबई पहुँचने के बाद कादर खान का बचपन अत्यधिक गरीबी में बीता। वे पटेल बस्ती और बाद में वडाला की झुग्गियों में रहे। स्कूल जाना भी उनके लिए कठिन था,लेकिन पढ़ाई में रुचिऔर लगन इतनी थी कि उन्होंने मेलर रोड स्कूल से शिक्षा पूरी की और बाद में इस्माइल युसूफ कॉलेज से स्नातक किया।

              वो कहते थे—
  “ग़रीबी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। लेकिन वही ग़रीबी मुझे ऊपर उठने की प्रेरणा भी देती रही।”

              कादर खान कॉलेज के दिनों में नाटकों में हिस्सा लेते थे। यहीं से उनकी अदाकारी और लेखन की प्रतिभा निखरने लगी।

कादर खान संवाद लेखक के मार्ग पर निकल पड़े दिलीप कुमार के साथ। 

संवाद लिखने का प्रस्ताव : कादर खान के संवाद : -

                    थियेटर के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर अभिनेता दिलिप कुमार से हुई। कादर खान का एक नाटक देखकर दिलीप साहब इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत उन्हें अपनी फ़िल्म के लिए संवाद लिखने का प्रस्ताव दिया।

                    कादर खान अक्सर कहा करते थे -

 “अगर दिलीप साब मेरी जिंदगी में न आते तो शायद मैं कभी फिल्मों में न होता।”

 कादर खान संवाद लेखक:लेखन करियर की शुरुआत : -

                                       
 कादर खान का पहला ब्रेक था -फिल्म: रोटी (1974) निर्माता: मनमोहन देसाई।  मुख्य कलाकार थे - राजेश खन्ना कादर खान ने इस फिल्म में धमाकेदार संवाद लिखे, और फिल्म सुपरहिट हुई। इसके बाद तो जैसे कादर खान की कलम रुकने का नाम ही नहीं लेती थी।
       
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कादर खान के लिखे कुछ प्रसिद्ध संवाद :-

  •     " तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख ...... " फिल्म " डमरू "
  •     " एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू...... "       फिल्म ओम शांति ओम। 
  •     "  मेरा नाम भी लोहनाथ है, लोग मुझे ऐसे ही नहीं बुलाते। "
  •     "  ऊपरवाला जब भी देता है, छप्पर फाड़ के देता है। "
                    कादर खान की लेखनी ने अमिताभ बच्चन, गोविंदा, जीतेंद्र, धर्मेंद्र, अनिल कपूर जैसे सितारों की फ़िल्मों को नई ऊँचाइयाँ दीं। 
 
कादर खान का अभिनेता जीवन : -                          

कादर खान अभिनीत फिल्मों का पोस्टर  

       
                    लेखन के साथ उन्होंने अभिनय में भी खुद को साबित किया।  उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें हास्य, खलनायकी और चरित्र भूमिकाओं का बेमिसाल कलाकार बनाया।

कादर खान की कुछ यादगार फ़िल्में : - 

                        दूल्हे राजा, राजा बाबू, मैंने प्यार क्यूँ किया, जुड़वा, कुली नम्बर 1, हीरो नम्बर 1, हिम्मतवाला, मुक़द्दर का सिकंदर, शराबी और तोहफा। 

                         उनकी कॉमिक टाइमिंग आज भी दर्शकों के लिए क्लासिक है। गोविंदा - कादर खान की जोड़ी ने 90 के दशक में हँसी का नया युग शुरू किया।  

फिल्मी दुनिया से हटकर: शिक्षक का रूप  : -

                         कम ही लोग जानते हैं कि कादर खान ने कई वर्षों तक एम.एच. साबू सिद्दीकी कॉलेज, मुंबई में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाई थी।
उनके स्टूडेंट्स आज भी कहते हैं कि—

       “सर जितने अच्छे एक्टर थे, उससे कई गुना अच्छे टीचर थे।”

                       उनका किताबों से विशेष लगाव था। वे अरबी, फ़ारसी, उर्दू और हिंदी—चार भाषाओं के माहिर थे।

 धर्म और इंसानियत उनकी सोच की नींव : -

                       कादर खान अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे।
वे इस्लामी शिक्षा, उर्दू साहित्य और सामाजिक मूल्यों पर घंटों बोल सकते थे। कहते थे—
                 “इंसान की जात एक ही है—इंसानियत।”

                       उन्होंने कई धार्मिक पुस्तकें भी लिखीं।

 बीमारी, अंतिम दिन और ‘दो गज ज़मीन’ का दर्द  : -         

                       2015 के बाद से उनकी तबीयत खराब रहने लगी।
वे कनाडा में अपने बड़े बेटे के पास रहने चले गए। 31 दिसंबर 2018 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।

                      लेकिन दुखद बात यह रही कि—

            👉    कनाडा में मुस्लिम कब्रिस्तान की जगह न मिलने के कारण

            👉    और स्थानीय नियमों की वजह से

                     कादर खान को उसी शहर की सार्वजनिक कब्रगाह में दफनाया गया। भारत से उठकर दुनिया में नाम कमाने वाले इस महान कलाकार को--

  मृत्यु के बाद अपने देश की मिट्टी और ‘दो गज जमीन’ तक नहीं मिल सकी।

                     यह सिनेमा प्रेमियों के लिए गहरा आघात था।

 कादर खान की विरासत : - 

      ✅  300+ फिल्में की , ✅  250+ फिल्मों में संवाद लिखे, ✅ 100+ फिल्मों में कॉमिक–विलेन और कैरेक्टर रोल निभाए, कई सुपरस्टार्स के करियर को दिशा दी, बॉलीवुड को संवाद और हास्य की नई भाषा दी 

                         उनकी कला को आज भी याद किया जाता है। उनकी फिल्मों के डायलॉग आज भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते हैं। कॉमेडी की नई पीढ़ी भी उन्हें अपना गुरु मानती है।

 व्यक्तित्व: सरल, विनम्र और संवेदनशील : -     

                         कादर खान कहते थे—
“मैंने जिंदगी में खूब नाम कमाया, लेकिन खुद को कभी महान नहीं समझा।”

                           वे स्टूडियो में स्पॉट बॉय से लेकर बड़े स्टार तक, सभी को एक जैसा सम्मान देते थे। उनका व्यवहार इतना गर्मजोशी भरा होता था कि हर कोई उनसे प्रभावित होता था।उन्होंने कभी विवादों और ग्लैमर वाली लाइम लाइट का पीछा नहीं किया। उनकी दुनिया - लेखन, अध्ययन, अभिनय और परिवार - यही थी।

 एक कहानी जो सदियों तक सुनाई जाएगी : -

 कादर खान सिर्फ एक कलाकार नहीं थे, बल्कि इंडस्ट्री की रीढ़ थे।
उनकी लेखनी ने फिल्में अमर कीं, उनकी कॉमेडी ने लोगों को गुदगुदाया,
उनके भावनात्मक दृश्य दिल छू गए,और उनकी सरलता ने उन्हें अमर बना दिया। आज भी जब उनके संवादों की गूंज सुनाई देती है, तो समझिए यह आवाज़ सिर्फ एक अभिनेता की नहीं - - 
एक युग की है।

 

 

 

       

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