महेंद्र कपूर – एक ऐसी आवाज़ जो भारत की आत्मा बन गई
महेंद्र कपूर – एक ऐसी आवाज़ जो भारत की आत्मा बन गई
भारतीय सिनेमा का इतिहास केवल कहानियों, सितारों और अद्भुत फिल्मों से नहीं बना, बल्कि उन आवाज़ों से बना है जिन्होंने पर्दे पर भावनाओं में जान भरी। इन आवाज़ों में एक नाम ऐसा है जिसकी गूँज आज भी पीढ़ियों के दिलों में जिंदा है - महेंद्र कपूर।
महेंद्र कपूर सिर्फ़ एक प्लेबैक सिंगर नहीं थे; वह भारत की आत्मा, उसके साहस और उसकी संस्कृति की स्वरलिपि थे। उनकी आवाज़ में शक्ति भी थी, मिठास भी.... और एक अनोखा तेज़, जो उन्हें बाकी गायकों से अलग करता था। चाहे वो देशभक्ति के गीत हों, रोमांटिक धुनें हों, या भावनाओं से भरे दर्दभरे गाने - महेंद्र कपूर हर सुर में अपनी आत्मा डाल देते थे।
महेंद्र कपूर के प्रारंभिक जीवन का परिचय : : -
महेंद्र कपूर का जन्म 9 जनवरी 1934 को अमृतसर में हुआ।
बचपन से ही संगीत उनके जीवन का हिस्सा था। घर में रेडियो बजता तो छोटे महेंद्र बाकी बच्चों की तरह खेलते नहीं थे - वे उसी रेडियो के पास बैठ जाते और गानों को ध्यान से सुनते। मोहम्मद रफ़ी उनकी पहली प्रेरणा थे। महेंद्र कपूर ने कई बार कहा कि उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश रफ़ी साहब जैसा गायक बनने की थी।
लेकिन जीवन इतना आसान नहीं था। उनके परिवार को संगीत में करियर बनाने का भरोसा नहीं था। उन्हें लगता था कि संगीत से घर नहीं चलता। पर महेंद्र जैसे जन्मजात कलाकार अपना रास्ता खुद बनाते हैं।
उन्होंने धीरे-धीरे खुद को साधा, और अपने सपने के पीछे मजबूती से टिके रहे।
महेंद्र कपूर फैक्ट्स मुंबई आने का संघर्ष: सपनों का पहला इम्तिहान : -
किशोर अवस्था पूरी होते ही महेंद्र कपूर मुंबई आ गए। मुंबई - जहाँ सपने टूटते भी हैं और बनते भी हैं। यहाँ उन्हें लगा कि शायद एक दो दिनों में उन्हें गाना मिल जाएगा, पर हकीकत इससे बिल्कुल उलट थी।
स्टूडियो के बाहर लम्बी-लम्बी कतारें, हर किसी के पास अपनी आवाज़ का दावा,और हजारों सपनों की भीड़। महेंद्र कपूर ने उसी भीड़ में अपनी जगह खोजनी शुरू की। रोज़ स्टूडियो के चक्कर, लगातार रियाज़,
कभी चाय की दुकानों पर गाना, कभी लोकल ट्रेन के खाली डिब्बों में अभ्यास। उनकी मेहनत, विश्वास और जुनून कभी कमजोर नहीं हुआ।
" आवाज़ की तलाश " – एक निर्णायक मोड़ : -
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| महेंद्र कपूर स्टोरी में उनकी आवाज से प्रभावित संगीतकार। |
साल 1957 में एक बड़ी गायन प्रतियोगिता आयोजित हुई -“आवाज़ की तलाश”। देशभर से हज़ारों गायक शामिल हुए।लेकिन जब महेंद्र कपूर ने मंच पर सुर छेड़ा,जज हैरान रह गए।
उनकी आवाज़ ऊँची भी थी,स्थिर भी थी,और उसमें एक अलग ऊर्जा थी।
वसंत देसाई, अनिल बिस्वास जैसे महान संगीतकार भी उनकी आवाज़ से प्रभावित हुए। महेंद्र कपूर विजेता बने,और संगीत जगत का दरवाज़ा उनके लिए खुल गया।
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| महेंद्र कपूर सांग्स के हिट गीतों में फिल्म 'नवरंग ' का गीत। |
“आधा है चंद्रमा, रात आधी…”
यह गीत जैसे ही रिलीज़ हुआ,महेंद्र कपूर की आवाज़ पूरे देश में फैल गई। उनकी स्वरलहरियाँ न सिर्फ़ मधुर थीं, बल्कि उनकी आवाज़ की मर्दानगी और ताकत ने उन्हें बाकी गायकों से बिल्कुल अलग पहचान दी।
मेरे देश की धरती के सिंगर, देशभक्ति की अमर आवाज़ : -
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| महेंद्र कपूर का सबसे टॉप देश भक्ति गीत। |
महेंद्र कपूर का सबसे यादगार योगदान देशभक्ति के गीतों में रहा।
उनका गाया फिल्म पूरब और पश्चिम का गीत—
“ मेरे देश की धरती सोना उगले…”
भारतीय सिनेमा का एक अनमोल रत्न है। रिकॉर्डिंग के दौरान जब उन्होंने पहला सुर निकाला, तो स्टूडियो के अंदर मौजूद हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो गया। यह सिर्फ़ गाना नहीं था—
यह एक भावना थी, एक राष्ट्र की धड़कन थी,और महेंद्र कपूर उस भावना के सबसे सशक्त प्रतीक बन गए।
उनकी आवाज़ की गूँज इतनी गहरी थी कि यह गीत सुनकर लोगों की रूह तक काँप जाती थी। यह गीत आज भी देशभक्ति का एक मानक है।
बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर के रोमांटिक और भावपूर्ण गीतों में महारथ : -
बहुत से लोग सोचते हैं कि महेंद्र कपूर का असली जादू सिर्फ़ ऊँचे सुरों में है,लेकिन वे गलत हैं।उनके रोमांटिक गीत भी उतने ही लोकप्रिय है।
- " चलो एक बार फिर से अज़नबी बन जाएँ हम दोनों। "
- " नीले गगन के तले। "
- " तू हुस्न है मै इश्क हूँ। "
इन गीतों में उनकी आवाज़ की मिठास और गहराई साफ़ दिखती है।वे हर प्रकार की भावनाओं को जी लेते थे- दर्द, प्यार, जुदाई, खुशी, हर मूड में उनकी आवाज़ बेदाग लगती थी।
महेंद्र कपूर अवार्ड्स और उपलब्धियाँ : -
महेंद्र कपूर को कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले, जिनमें—
- पद्मश्री।
- फिल्मफेयर पुरस्कार। .
- नेशनल अवॉर्ड।
- लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड।
उनकी आवाज़ का सफर लंबा था,पर सबसे खास थी उनकी विनम्रता। इतने बड़े कलाकार होने के बावजूद वे बेहद सरल, शांत और जमीन से जुड़े इंसान थे।
महेंद्र कपूर देश भक्ति गीत के गायक की : अंतिम यात्रा और अमर विरासत : -
27 सितंबर 2008 को महेंद्र कपूर इस दुनिया से चले गए।
लेकिन उनकी आवाज़… वह कभी नहीं गई। आज भी जब “मेरे देश की धरती…” या “चलो एक बार फिर से…” बजता है, लोग ठहर जाते हैं।
उनकी आवाज़ एक युग नहीं - एक एहसास है।महेंद्र कपूर भारतीय संगीत के उन स्तंभों में से हैं, जिनके बिना बॉलीवुड का स्वर्णिम इतिहास अधूरा है।



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