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                                                                                                                            दो शब्द .......
                       प्राचीन भारत जो अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था । वह अपना पूर्व इतिहास थामे आजादी के लिए बिलख रहा था । हमारी मातृभूमि ने ऐसे समय ऐसे ऐसे महान मनीषियों को जन्म देकर आनेवाली पीढ़ी को त्याग और निस्वार्थ देश प्रेम का पाठ पढ़ाया है । इन्ही महान मनीषियों ने गुलामी की जंजीरों की एक एक कड़ी को कमजोर कर बेबस जनता में प्राण फूंक दिए ।
                     इन  महान मनीषियों ने कभी अपना नीजी स्वार्थ नहीं देखा , केवल  देश  देश और देश  की प्रगति एवं आजादी पर ही अपना लक्ष्य देखा  ।  किसी  ने अपने ज्ञान से लोगों में आजादी की भावना जागृत की तो किसी ने प्रत्यक्ष स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर संभाली  ।  ऐसे अनेक मनीषी है , जिन्होने नवभारत की नीव डालते हुए आज अपने पीछे साहित्य की अपार वसीयत  हमारे   लिए छोड़ी  है  ।  परन्तु आज हम इक्कीसवी सदी में इतने खो चुके है की इन महान मनीषियों की यादों की गठरी अपने स्मृति पटल में बांध रखी है । जिसपर आधुनिकता की धूल जमा हुई  है  ।
                    ऐसे ही महान मनीषियों की यादों को जीवंत कर आनेवाली हमारी नई पीढ़ी को उनसे परिचित  कराने का मैंने संकल्प लिया है ।  इसी संकल्प के अंतर्गत मैंने आधुनिक भारत के निर्माता तथा महान साहित्यकारों का केवल परिचय इस  ई - पुस्तक में देने का प्रयास किया है  । बस ! इसमें कोई त्रुटि हो तो मुझे क्षमा करे , मै न लेखक हूँ न ही साहित्यकार केवल हमारी साहित्यिक एवं नवभारत के निर्माणकर्ताओं की यादों को जिवंत रखने का एक प्रयास मात्र है  ।
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